Flowers and Fragrence
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हमारी पिछली पोस्ट रातरानी के फूल व पौधे के विषय मे थी जिसे काफी साथियों ने देखा और सराहा जिसके लिए आप सभी का आभार!
खुशबूदार सफेद फूलों के परिवार का एक और सदस्य बेला, आज उसके बारे में कुछ तथ्य जानते हैं
ये है बेला, कहीं कहीं इसे मोगरा या मोतिया भी कहते हैं।
आप मे बहुत से लोग इसे अवश्य अपने प्रिय खुशबूदार पौधे के नाम पे जानते और चाहते होंगे, विशेषकर श्रृंगार रस में बेला का बड़ा ही महत्व है।
बेला का फूल मूलतः भारत व दक्षिण पूर्व एशिया का वासी है। इसका वैज्ञानिक नामकरण Jasminum sambac होता है।
बेला का फूल सामान्यतया अप्रैल महीने से खिलना प्रारम्भ कर देता है और इसीलिए फरवरी के आखिरी माह या मार्च के प्रथम माह में इनकी डालियो की कटिंग करके कलम लगा देने पे आपके घर या लॉन में पौधे अप्रैल के प्रथम या द्वितीय सप्ताह तक सुंदर सफेद खुशबूदार फूल महकने लगेंगे।
लगाए जाने का सबसे अनुकूल तरीका कलम लगाना ही होता है अथवा जड़ सहित भी लगा सकते हैं। बहुत ही कम बार बेला के पौधे में गाढ़े बैंगनी रंग के फल भी लगते है और उनसे भी नए पौधे जन्म ले सकते हैं।
बेला के फूल आप गर्मियों में ही पा सकते हैं, अन्य समय मे ये पौधा सुशुप्तावस्था में होते हैं।
बेला के फूल बड़ी सुगमता से गमले ये लॉन में लगाए जा सकते हैं।
उपहार स्वरूप गमले सहित दिए जाने के लिए बेला पर्याप्त उपयुक्त पौधा है।
स्वभाव से बेला का पौधा एक झाड़ी होता है। इसकी कुछ प्रजातियां बेल की तरह भी किसी सहारे से चढ़ती हैं जो आधे से 3 मीटर की हो सकती हैं।
बेला के पुष्प की तीव्र खुशबू तनाव को दूर करने वाली होती है, इसीलिए बहुत से औषधीय उत्पादों में इसके तेल का प्रयोग होता है। खुशबूदार व्यावसायिक सौंदर्य उत्पादों में भी बेला के तेल का प्रयोग होता है।
प्रकृति की विविधताओं में ये कीट पतंगों के लिए एक पसंदीदा फूल है और वे इसकी खुशबू से आकर्षित होते हैं।
जीजिविषा सोसाइटी लगातार जैव विविधता के बढ़ाये जाने पर काम करती रही है और इसी क्रम में अनेक जगहों पर बेला के फूल लगाए हुए हैं जिनमे पिछले कई सीज़न से सुगंधित फूल आ रहे है।
फोटो क्रेडिट- नीचे दिख रही बेला के फूल की फ़ोटो जीजिविषा सोसाइटी के ही गोद लिए हुए पार्क में से एक मे लगे बेला के फूल की है जिसे मंजरी उपाध्याय ने ही क्लिक किया है।
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